Sunday, December 30, 2012

"इंतहा" 'भारत की बहादुर बाला दामिनी को समर्पित'


"बाबा के इस देश में,
दुनिया के ह्र्यदेश में,
घूम रहे नरभक्षी देखो,
इंसानो के वेश में"

"खुली सड़क पर चलना मुश्किल,
बंद बसो में हो रहा वार,
मा बहन नही कहीं सुरक्षित,
हर ओर हो रहा उन पे अत्याचार"

"बैठ बंद संसद में नेता,
कर रहे कोरी चीख पुकार,
मरता है कोई मरे बला से,
बस अपना अपना हो उद्धार"

"तिस पर भी हो गयी इंतहा,
ना रही लोकतन्त्र की सरकार,
माँग रही इंसाफ़ जो जनता,
डंडे की मिल रही है मार"

"अक्स"

Wednesday, December 5, 2012

वास्तविकता


"सर्दी की गुनगुनी धूप में बदन सेंकते हुए,
ओस से भीगी मिट्टी की खुशबू में मदमस्त,
पत्तियों की ओट से झाँकती कलियों को चिड़ाता,
फूलों पर मंडराते तितलियों के झुंड को बिखराते हुए"

"विदेशी कुत्तों को घुमाते हुए लोगो को ताकता,
कुत्तो के पहने मँहगे कपड़े देख आँखें फाड़ता,
अपने नंगे बदन पर बार बार हाथ फिराते हुए,
किसी के अधूरे छोड़े बिस्किट को तलाशता"

"वापस लौट उसी गंदे नाले के बगल में,
कूड़े के ढेर पर बनी टूटी झोपड़ी के पीछे,
कूड़े और नाले की गंध को अपने में बसाते हुए,     
अमीर के कूड़े में ग़रीब भारत अपना भविष्य तलाशता"

"अक्स"



Thursday, November 22, 2012

मेरा खोया गाँव


"कहाँ है सुबह की वो ठंडी ठंडी बयार,
छाँव देते पेड़ो पर वो पक्षियों की पुकार,
वो धूल भरा दगडा, निकलती जिसमे बुग्गी,
लहलहाती फसल देख हर्षित होता किसान"

"चौपाल पर होता वो मस्ती और हुल्लड़,
गूँजती वो रस भरे लोक गीतो की झंकार,
वो पौं फटे निकली गायों का रंभाना,
काँधे पे हल उठाये गुनगुनाते किसान"

जलते अलाव में भूनते चने, मूँगफली  बच्चे,
दादा की वो मीठी झिड़की और दादी का प्यार,
शादी के शामियानों में कूद फाँद करता बचपन,
शहनाई की मीठी धुन पर वो गीतो की तान"

"वो शाम ढले चलता गौधूलि का अंधड़,
पोखर में नहाते, मछली पकड़ते जवान,
आँखें तरस गयी हैं पाने को झलक इसकी,
पत्थर के जंगल में हरियाली  ढूंढता नादान"

"अक्स"

Wednesday, November 7, 2012

दुर्दशा

"कड़कड़ाती ठंड में सड़क किनारे बैठी वो,
फटी साड़ी से अपने बच्चो को छूपाती हुई,
तेज हवा के तीरो से बचाने की कोशिश करती,
भर बाहों में उन्हे सीने से चिपटाती हुई"

"घनी धुंध में धीरे धीरे से घुलती हुई सी,
निर्बल शरीर को एक चादर सा बनाती हुई,
मानो अहिल्या इंतज़ार में पड़ी है राम के,
एक जीवित शिला का रूप अपनाती हुई"

"सड़क से आती रोशनी को ताकती पल पल,
दौड़ते वाहनो के धुएँ से शरीर को गर्माती हुई,
सूनी आँखों में सपने संजोए सुहाने कल के,
रोशनी के इंतज़ार में रात को अपनाती हुई"

"अक्स"


Friday, May 25, 2012

हसरत

"उसकी हसरतों के नाम हमने ज़िंदगानी कर दी,
उसको पाने की खातिर हर मुश्किल बेमानी कर दी,
वो हँसती रही मेरी खाक हो चुकी हस्ती पर,
क्या जाने वो हमने खुद हर खुशी बेमानी कर दी"

"उसकी राह के काँटे चुन लिए अपने दामन में,
आबाद कलियों से उसके घर की हर गली कर दी,
आँसू कर लिए जज़्ब हमने अपने सीने में,
और लबो पर मुस्कान की एक झूठी कहानी कर दी"

"वो बेवफा खुश थी हमे इस कदर गम देकर,
एक इशारे पर जिसके निसार ये जवानी कर दी,
नज़रे इनायत के बदले मिली बेरूख़ी हमको अक्स,
यूँ उम्र भर तड़पने की दौलत हमारे नाम कर दी"

"अक्स"

Wednesday, May 23, 2012

इंतज़ार


"कूचा-ए-दिल उसके इंतज़ार में है,
हमारी हर धड़कन उसके प्यार में है,
पलकें बिछा रखी हैं हमने उसकी आमद में,
ना जाने गुम वो रह्बर किस बाज़ार में है"

"हमारी तबीयत का शायद उसको इल्म ना हो,
वो बेख़बर जाने कहाँ किस हाल में है,
हमारी हर साँस में बसी है खुशबू उसकी,
उसका ही अक्स अब तो हर ख़याल में है"

"घर की ड्योढ़ी सूनी पड़ी है बिना उसके,
 राज उदासी का हर दर ओ दीवार पे है,
 हमारी आख़िरी आरज़ू तुझसे यही है या रब,
 मिला दे उससे ये तेरे ही अख्तियार में है"

"अक्स"

Monday, May 14, 2012

मेरा प्यार

"फूलों सा रंग ले के आया है यार मेरा,
खुश्बू से उस कली की महका है अंगना मेरा,
जूही की है कली वो या चंपा की है सहेली,
मादकता लिए गुलाब सी आया है यार मेरा"

"
हैं पंखुड़ी सरीखेअधर उस परी के,
झीलों से गहरी आँखें जिनमे है नूर ठहरा,
लता सी है बलखाए वो पतली कमर उसकी,
ज़ुल्फो में घिरता बादल लाया है यार मेरा"

"
वो कस्तूरी सरीखी खुश्बू उस बदन की,
लिए हिरनी सी चपलता आया है यार मेरा,
आने से उसके हो गयी रंगीन मेरी दुनिया,
ये प्यार का कैसा खुमार लाया है यार मेरा"

"
अक्स"

Monday, April 30, 2012

मिलन

"ना बिताए जाते हैं मुझ पर ये पल,
जो तेरे मिलन की आस जगाते हैं,
नींद आँखों से कोसो दूर है मेरी,
अब खुली आँखों में सपने झिलमिलाते हैं"

"एक एक पल लगता है एक बरस के समान,
क्यूँ ये दो दिलों की दूरियाँ बढ़ाते हैं,
मिलन को दिल बेताब मेरा भी है और तेरा भी,
फिर क्यूँ ये रस्मो रिवाज़ बीच में अड़ जाते हैं"

"वो दिन दूर नही जब होगा तेरा हाथ मेरे हाथो में,
जिसका सपना कब से हम सजाते हैं,
दो जिस्म एक जान कहते हैं लोग हमको,
फिर क्यूँ हमारे दिल की धड़कन ना समझ पाते हैं"

फिर भी अनमोल हैं मुझको ये पल,
जो तेरे मिलन की आस जगाते हैं"

"अक्स

Tuesday, March 27, 2012

अंजान

"जान बूझकर अंजान बना जाता है कोई,
हमारे दिल पर लाखो तीर चलाता है कोई,
छलनी हुए दिल से लहू टपकता तो क्या बात थी,
जख़्मो से बहते प्यार को ठुकरा कर चला जाता है कोई"

"निगाहों की एक जुम्बिश से हमे कत्ल पर डाला,
फिर हमी पर कातिल होने का इल्ज़ाम लगाता है कोई,
दामन ना उसका दागदार हो, हमने होठों को सिल लिया,
पर क्या करें, जब खुद ही बदन उघाड़े चला जाता है कोई"

"आज इस माहौल में क्या किसी का हो ऐतबार,
जहाँ परछाईं को भी ठग कर चला जाता है कोई,
उठा कर हाथ तुझसे अब क्या मांगू मैं या रब,
बिन माँगे ही मुझको सब कुछ दिए जाता है कोई"

"अक्स"

Tuesday, February 7, 2012

दिल-ए-गुमराह

"दिल-ए-गुमराह को राह पर लाया जाए,
बड़ा नादान है,इसे कुछ सिखलाया जाए,
यूँ तो कहने को हर शख्स यहाँ जिंदा है,
है मज़ा जब हर धड़कन का लुत्फ़ उठाया जाए"

"पत्थर के घरोंदो में अब जज़्बात नही बसते,
प्यार की ख़ुश्बू से हर चमन को महकाया जाए,
पड़ चुकी है जो ठंडी, बदलते समय की धारा में,
रिश्तों की उस गर्माहट को उफान पे लाया जाए"

"आज हर एक यहाँ अपने आप में ही गुम है,
ज़रा कुछ वक़्त औरो के लिए भी निकाला जाए,
पत्थर भी पिघलकर पानी बन सकता है अक्स,
अगर दिल में कुछ कर गुजरने का हौंसला जगाया जाए"

"अक्स"

Monday, January 30, 2012

वादी-ए-गुलिस्ता

"वादी-ए-गुलिस्ता से किसी ने प्यार भेजा है,
कभी हम जो खो बैठे, चैन ओ करार भेजा है,
उन दो लबो का थरथराना, अब भी मुझको याद है,
फिर आज उसी मुस्कान को काग़ज़ पे उतार भेजा है"

"खत में भरा है प्यार पर, शब्दो में है नाराज़गी,
फिर भी हर एक शब्द पर, हमे वार प्यार भेजा है,
हाल-ए-तमाम ना कह सके, जो बहते आंसूओ के संग,
बयाँ वो मुझसे करने को सूखा गुलाब भेजा है"

"स्याही जो ख़त्म हुई तो, दिया आंसूओ को रंग,
कत्ल हमे करने को, कजरे का वार भेजा है,
उस नाज्ञीन का शुक्रिया, हमको किया है याद जो,
नाशुक्रा कहकर ही सही, दिल का उपहार भेजा है"

"अक्स"

Monday, January 2, 2012

देश का दर्द

"चल जाग मुसाफिर होश में आ,
किस बात से तू यूँ डरता है,
जो देश बनाया तेरे अपनो ने,
उसमे क्यूँ घुट घुट मरता है"

"देख हाल सुनाऊं मैं तुझको,
जो अब तक हम पर बीती है,
एक आग में कब से झुलस रहा,
गंदी यहाँ अब हर एक नीति है"

"कहीं चोरी, सीना ज़ोरी है,
कहीं जेब पे तेरी डाका है,
तू मेहनतकश सबके पेट भरे,
घर फिर भी तेरे फाका है"

"कहीं चोर छुपा है चद्दर में,
कहीं चोर ही खद्दर धारी है,
जिस एक को चुन भेजा लाखो ने,
क्यूँ वो एक ही लाखों पे भारी है"

"प्रतीक है जो देश की गरिमा का,
दंगा उसमे अब यहाँ चलता है,
अपने तो भूख से बिलख, तड़प रहे,
और आतंकी बिरयानी पर पलता है"

"दिन में एक ओर जहाँ जूतम पैजार दिखती है,
फिर रात को भरी मस्ती में कोई भंवरी देवी लुटती है,
छोड़ अनाज को लोग यहाँ अब इंसान को ही खाते हैं,
तोड़ ग़रीबों का छप्पर ताज महल बनवाते हैं"

"नाम पे कोरी भैंसो के चारा कोई इंसान ख़ाता है,
बेच कोई स्पेक्ट्रम को बैंक बैलेंस बढ्वाता है,
इटों रेता के बिना कोई एक पूरा गाँव बनाता है,
कोई खुद के जीते जी ही पत्थर में घढ़वाता है"

"कहीं हाथी कुचले है सबको,
कहीं पंजा मार निशान रहा,
कभी कमल फूल हमे दाबे है,
कहीं कुचल साइकल हमारा संविधान रहा"

"अब जाग ज़रा और बाँध कमर,
अगर देश को फिर से पाना है,
बना हर एक को पाँच पांडव सा,
अगर कौरव को मार भगाना है"

"अक्स"