Monday, September 17, 2018

इश्क़ ए नागवार

"इश्क़ ए नागवार का हम रोग ले बैठे,
एक संगदिल से क्यूं ये दिल लगा बैठे,
कहती है दुनिया जिसको एक खुशनुमा एहसास,
उसमे हम अपने सभी अरमान जला बैठे"

सीने से उठती रही दर्द की एक टीस,
हर टीस को अपनी हम धड़कन बना बैठे,
चाहा था जिस खुदगर्ज़ को दिल ओ जान से कभी,
उसकी हर एक याद को अपने जेहन से मिटा बैठे"

रफ्ता रफ्ता सरकती रही ये जिंदगी हर डगर,
अपनी हर एक मंज़िल का हम रास्ता भुला बैठे,
खुदा की इबादत में हमसे होने लगी नागा,
एक नाखुदा को जबसे हम खुदा बना बैठे"
'अक्स'