Sunday, June 24, 2018

राह ए मुकाम


"राह ए मुकाम में मेरी, मुश्किलों का आशियाना है,
फिर भी हमे तो अपनी, हर मंज़िल को पाना है,
अपनों का साथ हो अगर, कट जाता है हर सफ़र,
वरना अकेले भी चलकर, बस जीवन जीते जाना है"

"रास्ते में किसी पड़ाव पर, कभी रुकता हूँ चार पल,
वरना इस जीवन सरिता में, अविरत ही बहते जाना है,
काम, दंभ, लोभ , मोह, सब इस पथ में कठिनाईं हैं,
जो इनसे पार पा सका, उसने ही जीवन जाना है"

"उम्र के हर एक पड़ाव पर, हमने सीख ये पाई है,
बढ़ना है अगर जग में आगे , धारा के विपरीत जाना है,
जिस दौर के हम बाशिंदे हैं, वहाँ हर पथ पर उम्मीदें हैं,
इन उम्मीदों को राह बना, हमे हर मंज़िल को पाना है"

"अक्स"