Sunday, June 18, 2023

प्रकृति का रोष

"जब जब धरती थर्राती है,

ये नए जलजले लाती है,

कहीं करे बौछार ये लावा की,

कहीं जलप्रलय बरसाती है"


"जब लावा दहक निकलता है,

बस सबकुछ फूंक ये चलता है,

हर ओर उठे बस धुआं गुबार,

ना किसी के थामे थमता है" 


"ये जलप्रलय जब आती है,

सब कुछ बहा ले जाती है,

जल ही जल विचरण करता है,

जिस ओर नज़र ये जाती है"


"प्रकृति का अपना है नियम,

बिन भूल उसे अपनाती है,

सृजन और सर्वनाश की शक्ति का,

मंजर सबको दिखलाती है "


'अक्स'

Wednesday, June 7, 2023

इश्क़ की कचहरी

"लगा के इश्क़ की कचहरी, ये दफा दर्ज की जाए,

निगाहें शौक के कातिलों को भी सजा दी जाए,

लगाई जाए ताला बंदी इनकी हंसीं निगाहों पर, 

सुर्ख लबों की तबस्सुम भी नजरबंद की जाए"


"करते हैं दावा इश्क का ये, उन्माद ए हुश्न में,

राह ए मोहब्बत पर कोई दरबान बिठाया जाए,

निगाहें शौक से मरने वालों पर भी जुर्माना हो,

इनके इजहार ए इश्क पर भी बंदिश की जाए"


"इफ़रात में बलखाते हैं, कुछ यूं ही ये हुश्न वाले,

महताब की लर्जन पर भी एक सीमा की जाए,

हसीनों पर यूं ही जुल्फें झटकने पर हो गुनाहगारी, 

इन्हे कभी मोहब्बत न करने की सजा दी जाए"


"कर लो दर्ज ये सभी दफ़ाएं कानून ए मोहब्बत में 

इश्क की आजमाईश में कोई असीर ना मारा जाए"


'अक्स'