Monday, May 9, 2011

ज़िंदगी का सच

“ज़िंदगी गम के क्षणो में मुस्कुरा देती है,
दर्द कितना भी गहरा हो, भुला देती है,
हर एक लम्हा अनमोल है ज़िंदगी का,
किसी को मिटा देती,किसी को बना देती है”

“ख्वाब है या हक़ीक़त है ज़िंदगी,
गरचे दोनो का ही मज़ा देती है,
लुत्फ़ हर उम्र में इसका उठाया जाए,
ये बूढ़ो को भी जवान बना देती है”

“जाँचने निकल पड़ा हूँ ज़िंदगी के हर्फ,
पर ये गुत्थी तो उलझती ही जाती है,
इस करवट कभी उस करवट बिठलाती अक्स,
रोज़ नये नये तमाशे ये दुनिया को दिखलाती है”

“अक्स”