Tuesday, December 29, 2020

एक राजमार्ग की अभिलाषा

"चाह नही, मैं अपनो के 

दंगो में तोड़ा जाऊं,


चाह नही, आंदोलनो में

लोगो का सिरहाना बन जाऊं,


चाह नही, देखूं मीलों,

बच्चों, बूढ़ों को पैदल चलते,


चाह नही, देखूं मैं दौड़ती,

गाड़ियों को आपस में भिड़ते,


एक तमन्ना है बस,

अच्छे से बनाया जाऊं,


दौड़ें जिस पर गाड़ी सरपट,

लोगों को घर पहुँचा पाऊँ"


'अक्स'

Thursday, October 1, 2020

गुदड़ी का लाल

"गुदड़ी का लाल था वो, मुगल सराय से आया,

एक कमाल था जो, मर कर भी मर ना पाया,

घर में था सबसे छोटा, नन्हे थे सब बुलाते,

फिर भी बड़ा बना वो, सबका था मान बढ़ाया"


"ली शास्त्री की उपाधि, जब उसने काशी से,

परचम फिर अपने नाम का, जग में फहराया,

मरो नहीं, मारो का नारा, था दिया देश को,

नाकों चने था फिर उसने अंग्रेज़ो को चबवाया"


"मिली जब आज़ादी तो देश हुआ एकजुट,

गुदड़ी के लाल को सबने, सर माथे पर बिठाया,

पैंसठ के युद्ध में जब,  सब होश खो रहे थे,

जय जवान-जय किसान नारे से जोश था जगाया"


"पहुँचा जब ताशकंद, थर थर थे काँपे दुश्मन,

जुड़ा था जमीं से पर, आसमाँ को भी झुकाया,

सारी उम्र रहा वो, एक संघर्ष का मसीहा,

सादा जीवन उच्च विचार को साकार कर दिखाया"


'अक्स' 

Sunday, September 13, 2020

नारी शक्ति

"माँ, बहन, बीवी और बेटी, जाने कितने किरदार निभाती है,

नारी के ही बस में है, हर गम सहकर मुस्कुराती है,

देती है जहाँ अनगिनत कुर्बानियाँ, अपनो की खातिर,

वहीं रणचंडी बन, दुश्मन का लहू भी पी जाती है"


"घर के अंदर हो या बाहर, चलती है मिलाकर कंधे से कंधा,

अपने शौर्य और कारनामो से सबको चकित कर जाती है,

घर की रसोई या जंग का मैदान, सब बराबर उसके लिए,

यहाँ दिल में उतरे , वहाँ दुश्मन के सीने पर चढ़ जाती है"


"ना जाने अभी ओर कितने कीर्तिमान गढ़ने हैं उसको,

हर कदम नयी सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती जाती है,

ज़िंदगी की हर चुनौती को हराने का माद्दा लिए,

सबको साथ लेकर आगे बढ़ना, बस नारी ही कर पाती है,

सबको साथ लेकर आगे बढ़ना, बस नारी ही कर पाती है"


'अक्स'