"कूचा-ए-दिल उसके इंतज़ार में है,
हमारी हर धड़कन उसके प्यार में है,
पलकें बिछा रखी हैं हमने उसकी आमद में,
ना जाने गुम वो रह्बर किस बाज़ार में है"
"हमारी तबीयत का शायद उसको इल्म ना हो,
वो बेख़बर जाने कहाँ किस हाल में है,
हमारी हर साँस में बसी है खुशबू उसकी,
उसका ही अक्स अब तो हर ख़याल में है"
"घर की ड्योढ़ी सूनी पड़ी है बिना उसके,
राज उदासी का हर दर ओ दीवार पे है,
हमारी आख़िरी आरज़ू तुझसे यही है या रब,
मिला दे उससे ये तेरे ही अख्तियार में है"
"अक्स"
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