"एक छोटी सी मुलाकात याद आई है
बनकर अश्क मेरी आँखो में उतर आई है
उन कमसिन निगाहों को ढ़ूंढता हूँ मैं
जिनकी रोशनी मेरे दिल पर छाई है"
"बैठे थे एक दूजे से अंजान हम दोनो
लब ठिठक रहे थे, आवाज़ ना निकली थी
सरसराई हवा यूँ बही एक अंदाज़ से
लगा वो मन ही मन मुस्काई है"
"चाह कर भी ना कुछ बोल पाए हम
आँखो में उभरी सब सच्चाई है
दुनिया की रुसवाई से डर लगता है
अंजाम हर सूरत में अपनी जुदाई है"
"उम्र भर तो खामोश ना रह सकेंगे लब
कभी तो जुबाँ पर आनी सच्चाई है
इस छोटी सी मुलाकात में हमने साहिल
खुशियाँ दो जहाँ की पाई हैं"
"अक्स"
Tuesday, September 23, 2008
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