Sunday, September 21, 2008

दिल की तड़प

"दिल की तड़प तन्हाई में सुनना
सच्चा मोती गहरे पानी में चुनना
टूट जाते हैं एक पल में शीशे की
दिल मेरे अब कोई ख्वाब ना बुनना"

"कुछ यूँ मौसम-ए-हाल बना रक्खा है मैने
दिल में तेरी जुदाई का गम पाल रक्खा है मैने
ना जाने क्यूँ तू नाखुदा बन गया साहिल
फिर भी तुझी को खुदा मान रक्खा है मैने "

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