"धुंध भरी सुबह में सड़क के एक ऒर,
जाने वो कौन चली जा रही थी,
सुर्ख ओ स्याह सफेदी भरा चेहरा लिए,
मानो ठण्ड को आगोश में भरे जा रही थी"
सुर्ख ओ स्याह सफेदी भरा चेहरा लिए,
मानो ठण्ड को आगोश में भरे जा रही थी"
"सर से ढलकते दुपट्टे को सही करने में,
खुद एक अजंता की मूरत बनी जा रही थी,
मानो भिड़ने निकली हो बर्फीली हवाओं से,
संभलती कभी लड़खड़ाये जा रही थी"
खुद एक अजंता की मूरत बनी जा रही थी,
मानो भिड़ने निकली हो बर्फीली हवाओं से,
संभलती कभी लड़खड़ाये जा रही थी"
"अश्कों के बहते दरिया को थामने की कोशिश में,
नैनो पर पलकों की लगाम लगाये जा रही थी,
समय बीतने के साथ वो भी धुंधलाती हुई,
शने: शने: धुंध में विलीन होती जा रही थी"
नैनो पर पलकों की लगाम लगाये जा रही थी,
समय बीतने के साथ वो भी धुंधलाती हुई,
शने: शने: धुंध में विलीन होती जा रही थी"
"धुंध भरी सुबह में सड़क के एक ऒर,
जाने वो कौन चली जा रही थी"
"अक्स"
जाने वो कौन चली जा रही थी"
"अक्स"
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