"जो सबके मन को हर्षाती,
दिल को दिल से जो जुड़वाती,
हिन्दी ही है एक वो भाषा,
जो शहर प्रांत का भेद मिटाती"
"हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई,
सबके मुख पर ये चढ़ जाती,
एक दूजे के लिए बढ़ा प्रेम ये,
सबको प्रेम का पाठ पढ़ाती"
"सबके दिल में बसती है ये,
राजभाषा हिन्दी सबका आदर पाती,
प्रांत को प्रांत ओर देश को दिल से,
जोड़ हिन्दी देश का मुकुट कहलाती"
"अक्स"
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1 comment:
सही है..अच्छी रचना.
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