"तेरी बेवफ़ाई के गम से भरा दिल,
ना जाने तेरे लिए बेकरार क्यूँ है,
मुझे तुझसे नफ़रत है या फिर मुहब्बत,
ज़िंदगी इन सवालो से परेशान क्यूँ है"
"वो तेरे ज़िंदगी भर साथ निभाने के वादे,
मेरी मंज़िल तेरी रहो से गुमनाम क्यूँ है,
कभी मेरी ज़िंदगी में नूर बरसाती तेरी आँखें,
उजाला आज मेरी चौखट से नाराज़ क्यूँ है"
" वो तेरी कोयल सी मीठी बोली,
मेरा आँगन आज उन गीतो से अंजान क्यूँ है,
जो कभी हमारे दिल में रहती थी धड़कन बनकर,
दिल आज उसी धड़कन से वीरान क्यूँ है"
"अक्स"
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2 comments:
सुंदर विरह गीत । मुहब्बत में ऐसे सवाल उठते हैं मन में और जवाब नही मिलता ।
वो तेरी कोयल सी मीठी बोली,
मेरा आँगन आज उन गीतो से अंजान क्यूँ है,
जो कभी हमारे दिल में रहती थी धड़कन बनकर,
दिल आज उसी धड़कन से वीरान क्यूँ है...
वाह क्या बात है ...बढ़िया प्रस्तुति...
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