"दर्द ए दिल अपना उनसे छुपाया न गया,
भूलना जो चाहा तो भुलाया न गया,
उसकी खातिर ठुकरा घर हम बन गए मजनू,
उस बेवफा से लैला का नाम तक अपनाया न गया"
"दावा करते थे मुहब्बत में जान देने का,
दौलत का वो झूठा बंधन तो ठुकराया न गया,
आह भरते रहे हम जख्म खाते रहे उसके लिए,
एक रेशा मरहम तक उस पर लगाया न गया"
"हम चीखते रहे उसके लिए सीना चीर फेंका,
हमारा नाम तक उससे लबो पे लाया न गया,
ये मेरी जिद थी की मैं बनाऊंगा उसको अपना 'अक्स'
जन्नत बसाने निकला था, एक गुलिस्ता तो बसाया न गया"
"अक्स"
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1 comment:
good work...last line is really nice.
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