"उन आँखों की झील सी गहराई में
ना जाने मेरा दिल कब खो गया
ना एहसास हुआ तनिक भी मुझको
बस एक लहर उठी ओर प्यार हो गया"
"जाने क्यूँ मैं बहता गया उनमे
हर किनारा मुझसे दूर हो गया
मैं घिरा रहा उसकी जुल्फों की छाँव में
जाने कब सवेरा जाने कब अंधेरा हो गया"
"उसकी बातों के जादू से मैं बच ना पाया
बस उसकी ही ओर मैं खींचा चला आया
उस गुलाब से चेहरे का कोई जवाब नहीं
जिसकी खुशबू ने मेरा जीवन महकाया"
"मेरी ज़िंदगी का हर रुख़ ही मोड़ दिया उसने
जाने क्यूँ मैं भी बदले बिना रह ना पाया
उसी का ही एहसास महका है मेरे जीवन में
उसने ही मेरे अरमानो को यूँ उड़ना सिखाया"
"अक्स"
Friday, December 19, 2008
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1 comment:
सार्थक पंक्तियाँ सुंदर विचार यथार्थ को उकेरते आपके गहरे विचार
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