“तेरे ख्वाबो में आने की आरज़ू है मेरी
तेरी नींदें चुराने की आरज़ू है मेरी
तू अगर चाहे तो भी मुझे भूल ना सके
तेरी आँखों में बस जाने की आरज़ू है मेरी”
“तेरी राहों से मैं सारे कांटें चुन लूँ
उनमें फूल बिछाने की आरज़ू है मेरी
जिस ओर से भी गुज़रे तू ए दोस्त मेरे
वो गली खुशबू से भर दूँ आरज़ू है मेरी”
“हो तुझे गम भी अगर ज़िंदगी में कोई
दर्द से मैं तड्पूं आरज़ू हैं मेरी
तू करे बहाना भी मरने का अगर साहिल
ख़याल तेरा हो मुझे मौत आए आरज़ू है मेरी”
“तेरे ख्वाबों में आने की आरज़ू है मेरी
तेरी नीदें चुराने की आरज़ू है मेरी”
"अक्स"
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment