"मेरे ख्वाबो में हर पल
एक अक्स उभरता रहता है
पल में बनता , पल में बिगड़ता
हर वक़्त सँवारता रहता है"
"वो मेरा ख़याल है या चाहत
मेरा दिल ये पूछता रहता है
नहीं जानता खुद ये साहिल
हर वक़्त तड़पता रहता है"
"वो ख़याल कब बनेगा हक़ीकत
हर पल सोचता रहता है
ख़याल ओ ख्वाब की जद्दोजेहद में
वो अक्स उभरता रहता है"
"अक्स"
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