"हमारे गमो का नहीं कोई ठिकाना
जिसे ना किसी ने समझा ना किसी ने जाना
समझते रहे हम जिसे उमर भर अपना
बना गया वही हमे पल भर में बेगाना"
"देते रहे दुआ रहो खुश उमर भर
पर ना मिलने कभी हमसे आना
कर दिया अंत दो लफ़्ज़ों में कहानी का
कोई बताए हमे क्या अब मतलब ज़िंदगानी का"
" बन गयी है ज़िंदगी अब नीरस नाकाम
जीना पड़ेगा उमर भर पीते हुए दर्द ए दिल का जाम"
"अक्स"
Sunday, December 21, 2008
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