"जीवन की इस आपा धापी में
मेरा बचपन कहीं खो गया है
ना जाने क्या क्या सॅंजो रखा था मैने
जो मेरा होकर भी कहीं छुट गया है"
"वो बचपन की बातें, वो सारी बरसातें
वो यारो का मिलना , मिलकर झगड़ना
वो गाँव की गलियाँ, गाँव के मेले
ना जाने कहाँ हैं उन्हे ढूंढता हूँ"
"वो बापू की डाटें, वो माँ का दुलार
भाई का स्नेह, बहन की राखी का प्यार
जीवन का मेरे जो था एक सहारा
ना जाने क्यूँ मुझसे छीना गया है"
"नहीं बचा कुछ भी अब इस जीवन में
जो लगे मुझे अपना, जो लगे प्यारा सा
फिर ढूंढता हूँ वही अपना बचपन
लुटा के अपना ये मैं जीवन सारा"
"अक्स"
Wednesday, November 26, 2008
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3 comments:
kya baat hai bhai ......
aaj to rula hi diya.......
मैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
अक्षय-मन
बहुत सुंदर भावः और उतना ही सुंदर शब्द प्रवाह वाह वाह बधाई
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