"मेरी नाशाद ख्वाहिशों को नवाज़िश की तलाश है ,
नाचीज़ को जो समझे , उस निगाह की तलाश है,
फिरता हूँ दर ब दर , किसी फ़क़ीर की तरह,
इस रूह ए नामुराद को, नबी की तलाश है ।"
"अर्ज़मन्द यहां कौन है, जरा सामने तो आये,
नाशुकरौ की इस अन्जुमन में, तसरीफ तो लाये,
बैठे हैं दिल थाम के , सब जिसकी आमद में,
उसको भी इस जहां में आदिल की तलाश है"
"इश्राक की एक किरण आ जाए कहीं से,
अन्ज को जाने कब से अब्र की प्यास है,
अल्फ़ाज़ गिर गये गले में, तालू से फिसल कर,
अब्सार को जमाने से नमी की तलाश है"
"आलिम की आवाज़ यहां अब सुनता नही कोई,
अब सब को आब ए आईना में, जन्नत की आस है,
स्वीकार कर सके गर, कर लेना तू भी 'अक्स'
ख़ुदी के साथ रहकर भी, तुझे खुद की तलाश है"
'अक्स'
No comments:
Post a Comment