Tuesday, July 15, 2014

दीदार ए तसव्वुर

"गुल से मिलकर इस कदर गुलज़ार हो गया,
मैं उनकी मोहब्बत में गिरफ्तार हो गया,
दीदार ए तसव्वुर की जो एक आस थी जगी,
रुखसार वो चिलमन के पर्दों में खो गया"

"यूँ तो बहारें आती और जाती हैं बदस्तूर,
मेरा चमन सदा के लिए खुशगँवार हो गया,
इस जहाँ में हर कली  का रस चूंसते भंवरे,
और मैं किसी कली का निगेह्बान हो गया"

"उस एक मुस्कुराहट पे सौ उम्र हैं कुर्बान,
तरन्नुम में जिसकी हर एक शख्स खो गया,
हर गली की मिट्टी में है एक सौंधी सी खुश्बू,
जिस भी डगर से वो बस एक बार ग़ुज़र गया"

"अक्स"

Saturday, July 5, 2014

फरेब

"मैं इस कदर उसके वजूद में खोता रहा हूँ,
आसमान को भी अपने अश्को से भिगोता रहा हूँ,
वो उड़ ना जाए मेरे जेहन से किसी सपने की तरह,
अनगिनत रातों को खुली आखों से सोता रहा हूँ"

"अपनो ने भी उसी ज़ख़्म को जी भर कर कुरेदा,
जिसको हमेशा जी जान से मैं सीता रहा हूँ,
बेबसी के इस दौर में है हर शख्स गमजदा,
सज़ा उसके फरेब की मैं भी पाता रहा हूँ"

"क्यूंकर ना जला दूं मैं उसके झूठ का पुलिंदा,
हक़ीक़त हमेशा मान जिसे मैं जीता रहा हूँ,
उसके शबाब पर फिदा है दुनिया तो मुझको क्या,
मैं रुसवाइयां मिला हर जाम में पीता रहा हूँ"

"अक्स"