Monday, January 3, 2011

सर्द रातें

"ये धुंधली सर्द रातों की तन्हाई,
हमे कुछ इस तरह तड़पाती है,
दफ़न कर चुके जो तेरी यादों के पन्ने,
हमे उनसे फिर रूबरू कर जाती है"

"हर वो मंज़र,वो पल जो कभी साथ गुजरा,
वो टीस दिल के जख़्मो को हरा कर जाती है,
दुनिया के दिए जख्म तो मैं सह गया हंसकर,
पर तेरी बेवफ़ाई मुझे हर पल रूलाती है"

"सर्द ये रातें ज़्यादा हैं या तेरा दिया गम,
इसी कशमकश में रातें बीत जाती हैं,
गुज़रता हर पल तेरी बेवफ़ाई याद दिलाता है अक्स,
फिर से आँखों में तेरी सूरत तैर जाती है"

"अक्स"

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