शूरवीर वो दानवीर वो,
सूतपुत्र कहलाता था,
उसके बाणो की ग़रज़न से,
आकाश भी थर्राता था"
"रण्भूमि में पराक्रम से,
छक्के सबके छुड़ा दिए,
अर्जुन जैसे महारथी को,
नाको चने चबवा दिए"
"कुन्तिपुत्र करण वो एक था,
वचन जो बस निभा पाया,
होती क्या है शील सौम्यता,
मरते दम तक दिखलाया"
"अक्स"
Tuesday, December 14, 2010
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1 comment:
Very true. I really appericiate Karan for everything, especially his sense of friendship.
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