Friday, November 26, 2010

यादों की परछाई

"आज फिर सांसों में कोई याद महक आई है,
दिल में उभरे कई जख्म और आँखों में रुसवाई है,
एक दर्द बह चल पड़ा है संग लहू के मेरी रगो में,
जेहन पर छाई एक बीती यादों की परछाई है"

"एक बेवफा से मुहब्बत का सिला यूँ मिला हमको,
जिंदगी में गमो की एक कालिख बिखर आई है,
हमें दगा दिया किस्मत या उस बेवफा ने कौन जाने,
अंजाम हर सूरत में अब अपनी रुसवाई है"

"जाने किस बदनसीब की हमको लगी ये बददुआ,
वो खुश है इन्तहा जिसने मेरी खुशियों में आग लगाई है,
जलने लग पड़ा हूँ अब पल पल उसकी यादों में अक्स,
अब सहनी हमको उम्र भर ये जगहंसाई है"

"अक्स"

No comments: