Sunday, January 16, 2011

टूटा दिल

"दिल मेरा तोड़ कर गुलिस्ताँ भी कुचल डाला,
फूल की औकात क्या कली को भी मसल डाला,
बेरहम पत्थर दिल से निकलती नहीं कभी दुआ,
हमारी सिसकियों ने पत्थर को भी मोम कर डाला"

"रो दिया आकाश भी मेरे लहू के रंग से,
सुबह ओ शाम का उसने फ़र्क ही मिटा डाला,
तारे भी टूट टूट कर गिरने लगे ज़मीन पर,
मेरी सदा ने एक दिन जब उनको भी हिला डाला"

"उनके दिए की रोशनाई ज़िंदगी काली कर गयी,
मेरी खुशी ओर गम का उसने मतलब ही बदल डाला,
जीते रहे, मरते रहे हम उसकी याद में अक्स,
शायद उसने मेरी याद का कतरा कतरा बहा डाला"

"अक्स"

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