Friday, February 25, 2011

मुकाम

"इजहार-ए-मोहब्बत जो अब हमने किया बशर,
बात निकली भी न थी कि लब थरथरा उठे,
हया की वो लाली उभर आई उन आँखों में,
जिसे देख ले जो एक बार मुर्दा भी जी उठे"

"हम हो गए कुर्बान उस हसीन चेहरे पर,
दिल अपना बस एक पल में हम गवां बैठे,
वो मुस्काई परेशान देख कर मुझको,
हमारे दिल में ख्वाबो के आफ़ताब जल उठे"

"तमन्ना है अब उसको हम-आगोश मैं कर लूँ,
बुझा लूं प्यास नजरो की न फिर ओर जल उठे,
तकाजा जिंदगी का है और खतरा मौत का अक्स,
इधर उसकी उठी डोली, उधर मेरा जनाज़ा उठे"

"अक्स"

Tuesday, February 22, 2011

एक ख्वाहिश

"जिंदगी तुझे गले लगाने की जुस्तजू है,
बीते लम्हे फिर से पाने की आरज़ू है,
हम-आगोश था मैं अभी तक अपने हबीब से,
अब सबके लिए कुछ कर जाने की जुस्तजू है"

"शाम-ए-खुर्शीद बह रही हवा के झोंके मानिंद,
मेरी रेत को हथेली में थामने की आरज़ू है,
सुबह की उफ़क बन गयी शफ़क मेरी,
हर दीद-ए-तहर को महर बनाने की जुस्तजू है"

"उखुव्वत हर बशर कर ले इस मकां में,
मौशिकी-ए-उल्फत का पयाम हो हर लब पर,
खाबिदा आलम न मुज़तर हो सुन मेरी ग़ज़ल,
हर दर पे एक फ़िरदौस बसाने की जुस्तजू है"

"अक्स"

Thursday, February 17, 2011

राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र - एक नज़र

हिंद की ये जान है, हिंद की ये शान है,
सूचना के क्षेत्र में ये हिंद का अभिमान है,
काम कर बड़े बड़े, सर हिंद का उठा रहा,
बसती हिंद के हर दिल में इसकी ही एक जान है,

हिंद की ये जान है, हिंद की ये शान है,
सूचना के क्षेत्र में ये हिंद का अभिमान है,

शाम ए गुलिस्ताँ को हिंद की, सूरज नया दिखला दिया,
सूचना का प्रसार कर, घर घर में ही पहुंचा दिया,
हटा के कागजो का ढेर कंप्यूटर वहां लगा दिया,
आई टी के क्षेत्र में बना ये एक वरदान है,

हिंद की ये जान है, हिंद की ये शान है,
सूचना के क्षेत्र में ये हिंद का अभिमान है,

तोड़कर सीमाएं सारी सूत्र एक बना दिया,
नेटवर्क का जाल सारे हिंद में फैला दिया,
कश्मीर से कन्याकुमारी तक बनाया बाँध एक,
भाषा और क्षेत्र का भी भेद तक मिटा दिया,
सारे हिंद में हो रहा बस इसका ही गुणगान है,

हिंद की ये जान है, हिंद की ये शान है,
सूचना के क्षेत्र में ये हिंद का अभिमान है,


"अक्स"