"कतरा कतरा जमा होकर ही समंदर बनता है,
गहराती जाती है हवा, तो बवंडर बनता है,
अपनी असफलताओ से इतना ना निराश हो,
गिर जाने के बाद ही तो इंसान संभलता है"
"लाख मुश्किलें पल पल उसके रास्ते में आती हैं,
वो फिर भी ना अपने पथ से एक कदम डिगता है,
समय का पहिया घूमता रहता है अविरत हरपल,
पर वो भी इंसान के दृढ़ निश्चय से डरता है"
"अगर चाहे तो क्या नही कर सकता इंसान,
जिसकी हिम्मत के आगे हिमालय भी झुकता है,
ठान के मन में, तान के सीना अक्स,
वही जीता है जो, बेखौफ़ बढ़ता है”
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2 comments:
अच्छे भाव हैं...बधाई..
Superb sir ji...
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