Tuesday, July 5, 2022

कशमकश

 'हिन्दू हूँ मैं या एक मुसलमान हूँ मैं,

अजब कशमकश है, क्या इंसान हूँ मैं,

किये मंदिर के फेरे और नमाज़ ए मस्जिद भी,

हूँ गीता का श्लोक या आयत ए कुरान हूँ मैं'


'फूलों में खेला कभी लिपटा हूँ चादरों में,

'बन कर तदबी का धागा, बंधा कलाइयों में,

नवरात्र में भजन गाये, रोजो में अजान दी है,

हूँ कन्या पूजन जीमण या शाम की इफ्तारी,

दोनों ही सूरतों में, अहद ए शबाब हूँ मैं '


'जला हूँ बन कर रावण, कुर्बान हुआ ईदी में,

हर्ष ओ उल्लास देखा मैनें, दोनों ही तरफा है,

गूंजा जो जयकारो में, झूमा नमाज में भी,

आंठवा सरगम का शायद अब शब्द हूँ मैं'


'राम का हूँ वानर या रहीम का मैं सूफी,

धोखे के वार से हुआ, लहू लुहान हूँ मैं,

राम और रहीम में क्या फ़र्क है ये बोलो,

जबकि फकत मिट्टी का एक इंसान हूँ मैं'


'अक्स'

No comments: