Monday, December 3, 2018

मेरे दिल की कलम से....


"कभी सीरत भी देखो, सूरत ए हाल पे हंसने वालो,
शहर में हर शख्स खलीफा हो, मुमकिन तो नही"
'अक्स'


"तन के रिश्तों से बड़े मन के रिश्तें हैं जनाब,
जलकर भी इनकी खाक चुभन नही देती"
'अक्स'


"इकरार ए मोहब्बत से पहले वसीयत कर ले अक्स,
 जहर मीठा हो तो भी जान लेता है"
'अक्स'

"लगा के इश्क़ की कचहरी, ये दफा भी की जाए,
निगाहें शौक वाले कातिलो को भी सजा दी जाए"
'अक्स'


"ऊंचाई का जुनून उस पर कुछ इस कदर हावी है,
नज़रों में भी गिरने का अब अहसास नही होता"
'अक्स'

"निगाहें शौक से मरने वालों पर भी जुर्माना हो,
ये वो गाफिल हैं ,जो शौक़ीनी में जिया करते हैं"
'अक्स'


"मुझे यूँ बदनाम न करो , मेरी तारीफों से,
वरना जल ही जायेंगे, मेरे नाम पे हंसने वाले"
'अक्स'

"पथरा गयी हैं तेरी राह में नज़रें इस कदर,
शीशा बिखर जाता है गर देख लूं नज़र भर"
'अक्स'

"आज कल किसी की नज़रों में ठहरता नही मैं,
मुझसे भी ज्यादा उनके अश्कों का वजन है शायद"
'अक्स'

"तेरे शहर का एक यही दस्तूर है शायद,
गले लगा के पीठ में खंजर घोपा जाता है"
'अक्स'

"मेरी साँसों में नफरत का जहर न घुलने दे जो,
तेरे आबाद शहर की आबोहवा से मेरी वीरानगी अच्छी"
'अक्स'

"पिलाओगे जो नफरत का जाम अमन का बोलकर,
एक दिन तेरी ही जड़ें काटेंगे, तुझे सींचने वाले"
'अक्स'

"दिल के दर्द को ज़माने से छुपाना अच्छा,
अब लोग यहां ज़ख्म को नासूर बन देते हैं'
'अक्स'

"दीदार ए हुश्न एक अदा है निगाहे शौक की,
वरना रंग बदलते चेहरों पे कहाँ यकीन होता है"
'अक्स'

"सर्द रातों के कुहासे से भी घनी हैं तेरी यादें,
जितनी छठती हैं, उतना ही तेरा अक्स उभरता है"
'अक्स'


"आब ए जमजम की तरह मुक़द्दस हैं तेरे आंसू,
गर जमीन छू लें तो रोज़ ए कयामत आ जाये"
'अक्स'

"तौहीन ए वफ़ा तो मजबूरी है जनाब,
फिसलन भरे चेहरों पर अब निगाहें रुकती कहाँ हैं"
'अक्स'

"दिल के दर्द को ज़माने से छुपाना अच्छा,
अब लोग यहां ज़ख्म को नासूर बन देते हैं'
'अक्स'

"कैसे कहें उनको है मेरी दीदार की आरज़ू,
जब पर्दा ही खिड़की का कभी उठा नही"
'अक्स'

"हसरत उसे पाने की दिल ही में रह गयी,
जैसे कोई गुबार था, आया और निकल गया"
'अक्स'

"आब ए चिनाब हो या जमजम की बूंद तुम,
 मयस्सर मेरे नसीब को दोनों ही नही हैं"
'अक्स'

"उनको ताकीद हो झटकें जुल्फें जरा सलीके से,
उनकी आमद में जलता दिया बुझ न जाए कहीं"
'अक्स'

"किसी को बहकाने, किसी को फुसलाने की अदा आती है,
 मुझे खुद को समझाने की अदा आती है,
आता होगा ज़माने को गैरो की अदाओं पे मर जाना,
मुझे बस खुद पर मर जाने की अदा आती है"
'अक्स'

 "लोगो के दिलो में भी रहने से अब डर लगता है,
 जाने कब कौन काफ़िर कह कर दगा दे दे"
'अक्स'

"जिंदगी सुलझाने में लगे तो उलझ जाओगे,
 ये वो शय नही जो आसानी से सुलझ जाए"
'अक्स'

"दर्द की भी अजीब दास्तान है जनाब,
जिसको मिला वो भी परेशान, जिसको कहा वो भी परेशान"
'अक्स'

"दिल ने कहा, देने वाले को दुआ दे दे,
दर्द दिया तो क्या, कुछ मिला ही तो है"
'अक्स'

"यूँ हीं ज़िन्दगी का फ़साना मुकम्मल नही होता,
खुद को पल पल घिसना पड़ता है किसी सिल की तरह"
'अक्स'

"ज़िन्दगी ओर बता तेरी ख्वाहिशें क्या हैं,
मैंने खुद को बहुत जलाया है तुझे बनाने में"
"अक्स"

"ना यार पहचाने, ना घर की दर ओ दीवार पहचाने,
काम में यूं फंसे है कि अब हमें रविवार भी ना पहचाने"
'अक्स'

नवाबो की जमीन से
"कुछ इस कदर जज्ब हो गया है ये माहौल मुझमे,
दुश्मन से भी मिलता हूँ अब बड़े अदब के साथ"
"अक्स"

"गुजर गया तूफान भी दबे पांव घर के आगे से,
मेरे मन की उलझनों के उसे भी भान था शायद"
'अक्स'

"कोशिश तो बहुत की तेरा नाम लिख दूँ मगर,
जब भी कलम चली बस महबूब ही लिखा गया"
'अक्स'

"इज़हारे मोहब्बत में जो हुई जरा सी चूक,
उसकी डोली के नीचे एक कंधा मेरा भी आ गया"
'अक्स'

"सिकुड़ कर एक दायरे में सिमटने लगे हैं अब,
 रिश्तों को भी ठंड लगने लगी है शायद"
'अक्स'

"मेरे महबूब सी अदा आती है इस सर्दी को,
जरा नज़रे टेडी की, तो कांपने लगता हूँ"
'अक्स'

"बेवफाई सूरत में हो सकती है मेरी सीरत में नहीं,
हम तेरी रूह में समाने की ख्वाहिश रखते हैं"
'अक्स'

"मेरे इंतज़ार में न तमाम कर अपनी रातें,
एक दिन चला जाऊंगा बुलबुले की तरह"
'अक्स'

"गम ए हमदम में कुछ इस कदर डूबा है दिल,
अब नाम भी लेता हूँ तो बहक जाता हूँ"
'अक्स'

"जाम ए मय के मुरीद कभी निगाहों से भी पी,
आब ए हयात का मजा न आ जाये तो कहना"
'अक्स'

"तेरे शहर के लोगों की अदावत का कायल हूँ अक्स,
बड़ी सफाई से लोगो को ठगते हैं ये गले लगाकर"
'अक्स'

"अजीब तेरे शहर का यूँ दस्तूर हो गया है,
जिससे दिल लगाया, वही दूर हो गया है,
इस कदर धोखे खाये हैं हमने  यहां अक्स,
शहर के हर बाशिंदे से मेरा सरोकार हो गया है"
'अक्स'

" रोज़ ज़िन्दगी को कुछ इस तरह समझाता हूँ मैं,
बस आज भर जी लेने दे मुझे मेरे मन की मुराद"
'अक्स'

"अजीब इस शहर का दस्तूर हो गया है,
दुश्मनी निभाते हैं लोग, दोस्ती का नाम लेकर"
'अक्स'

"मत आंको मेरी बुलंदी को सिर्फ कुछ ऊंचाइयों से,
स्वच्छंद परिंदा हूँ, आसमां को चीरने का दम रखता हूँ "
'अक्स'

"मेरे कत्ल की साजिश करने वालो का हाल देखो,
अपना ही खंजर खुद के सीने में घुसाए बैठे हैं"
'अक्स'

"उड़ा दो दिल से मेरे खयालो को आंधी की तरह,
एक दीमक हूँ, सुख ओ चैन तक खा जाता हूँ"
'अक्स'

"वो तो ख्वाहिशों ने बर्बाद कर दिया हमे वरना,
कभी हमारे नाम की उधारी चलती थी बाजार में"
'अक्स'

"अभी तो परिंदे ने जरा पर खोले हैं देखो,
परवाज़े कितनी हैं बाकी, बाकी कितनी उड़ानें हैं"
'अक्स'

"देकर लहू का नारा, रगो में उबाल लाया,
चढ़कर छाती अंग्रेज़ो की, नाको चने चबवाया,
कहता था चलो दिल्ली, अपना समय है आया,
भारत का वीर बेटा वो नेताजी कहलाया"
'अक्स'
जय हिंद , जय भारत

"सफर ए मंज़िल में बेतरीब ही रहना बेहतर,
तहज़ीब वालो से तो राहें भी रश्क करती हैं"
'अक्स'

"मेरे अरमानो से इतना भी न खेल ए खुदा,
किसी के अरमानों का घरौंदा भी बस्ता है इनमे"
'अक्स'

"बड़े करीने से सजा के रखा है मैंने अरमानो को,
तेरे मिलने पर हिसाब देने में आसानी होगी"
'अक्स'


1 comment:

Anonymous said...

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