"आज फिर मानवता शर्मसार हुई,
फिर एक बहन-बेटी दागदार हुई,
हवस के दरिंदो ने लूटा उसकी अस्मत को,
आह उसकी ना किसी दिल के पार हुई"
"नोचते रहे वो कुत्ते उसके जिस्म को,
आत्मा भी उनकी खरोंचो से जार-जार हुई,
ना मिला एक लफ़्ज भी उसको सहानुभूति का,
पर कितने ही शब्द बाणो की बौछार हुई"
"दरिंदो के हाथो बस एक बार नंगा जिस्म हुआ,
अपनो के हाथो वो बार बार शर्मसार हुई,
देख घिनौना चेहरा इस दुनिया का अक्स,
दिल में नफ़रत ओर आँखो से आँसू की बौछार हुई"
"अक्स"
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2 comments:
Nice one chhotu.
insaan ki shakal me danav ho gaye hai
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