Sunday, April 25, 2010

गुबार

"मिलकर तुमसे लगा यूँ जैसे जन्नत मिल गयी,
हम तो कब से बर्बाद ए मुहब्बत हुआ करते थे,
तेरी हँसी ने दी मेरे दिल को वो राहत,
तलाश में जिसकी हम राहों में फिरा करते थे"

"एक दर्द का दरिया बहता था कभी सीने में हमारे,
जिस से मेरी रूह पे भी फफोले हुआ करते थे,
तेरी पर्छाईं की छाया से हुआ कुछ यूँ असर,
वो हो गये शबनम जो कभी शोला हुआ करते थे"

"गैरों से क्यूँ हो शिकवा हमे अपनो ने किया कत्ल,
आश्तीनों में जिनकी छुपे खंजर हुआ करते थे,
दिन ये भी वो ही हैं, दिन वो भी वो ही थे,
हम हैं तन्हा अब भी तब भी हुआ करते थे"

"अक्स"

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