"तन्हाई के इस आलम में,
मेरा चाँद भी रूठा रहता है,
मैं रोशनी बाँटता फिरता हूँ,
पर दिल में अंधेरा रहता है"
"मैं सोचता रहता हूँ हर पल,
जाने क्या खोजता रहता हूँ,
मेरे इस दीवाने पन पर,
जहाँ ये हंसता रहता है"
"सब मुझको पत्थर मरते हैं,
मैं हंसकर सहता रहता हूँ,
जाने क्यूँ हर एक पत्थर में,
मुझे दर्द वो अपना दिखता है"
"जीवन की इस आपाधापी में,
मैं सब कुछ भूलता फिरता हूँ,
फिर भी ना जाने क्यूँ दिल में,
एक दर्द उमड़ता रहता है"
"अक्स"
Sunday, December 27, 2009
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1 comment:
बहुत ही भावपूर्ण निशब्द कर देने वाली रचना . गहरे भाव.
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