Friday, March 4, 2011

पाबंदी

"दिल मचलता है उनकी याद में ज्यों उफनता दरिया,
याद आती है हमे,रह रह कर तड़पाती है,
आँगन की मिट्टी ने डाल रखी हैं बेड़ियाँ पाँव में,
तोड़ने में जिनको घर की चौखट भी उखड़ जाती है"

"बेबस इधर मेरा दिल भी है, उधर मेरा हबीब भी,
दिन कटता दुहाई में, रात कशमकश में गुज़र जाती है,
वक़्त का दरिया बह रहा हम दो किनारो के बीच,
बहाव में जिसके कोई किश्ती ना ठहर पाती है"

"उदास आँखो से झरते आँसू झर झर,
बरसात भी जिनके आगे फीकी पड़ जाती है,
दहलीज़ लाँघने की कुव्वत उसमे है ना मुझमे,
हमारी मुहब्बत बस यूँ ही दम तोड़ती रह जाती है"

"अक्स"

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