"आज फिर सांसों में कोई याद महक आई है,
दिल में उभरे कई जख्म और आँखों में रुसवाई है,
एक दर्द बह चल पड़ा है संग लहू के मेरी रगो में,
जेहन पर छाई एक बीती यादों की परछाई है"
"एक बेवफा से मुहब्बत का सिला यूँ मिला हमको,
जिंदगी में गमो की एक कालिख बिखर आई है,
हमें दगा दिया किस्मत या उस बेवफा ने कौन जाने,
अंजाम हर सूरत में अब अपनी रुसवाई है"
"जाने किस बदनसीब की हमको लगी ये बददुआ,
वो खुश है इन्तहा जिसने मेरी खुशियों में आग लगाई है,
जलने लग पड़ा हूँ अब पल पल उसकी यादों में अक्स,
अब सहनी हमको उम्र भर ये जगहंसाई है"
"अक्स"
Friday, November 26, 2010
Sunday, November 7, 2010
ज़िंदगी के रूप
"जाने क्या क्या रंग दिखलाती है ज़िंदगी,
पल में गम,पल में खुशी दे जाती है ज़िंदगी,
गुजरती रहती है अविरत बहती सरिता की तरह,
ना एक पल भी ठहराव दिखलाती है ज़िंदगी"
"हर एक पल कटता है यूँ सदियों की तरह,
जब एक पल भी किसी को तड़पाती है ज़िंदगी,
दिन ओर रात आते हैं,गुज़र जाते हैं,
इसी समय धारा में बहती जाती है ज़िंदगी"
"अपनो के साथ जन्नत बन जाती है ज़िंदगी,
वरना तो दोजख से भी भयानक है ज़िंदगी,
लोग प्यार करके जाने क्यूँ साथ छोड़ देते हैं इसका,
प्यार का ही तो दूसरा नाम है ज़िंदगी"
'अक्स"
पल में गम,पल में खुशी दे जाती है ज़िंदगी,
गुजरती रहती है अविरत बहती सरिता की तरह,
ना एक पल भी ठहराव दिखलाती है ज़िंदगी"
"हर एक पल कटता है यूँ सदियों की तरह,
जब एक पल भी किसी को तड़पाती है ज़िंदगी,
दिन ओर रात आते हैं,गुज़र जाते हैं,
इसी समय धारा में बहती जाती है ज़िंदगी"
"अपनो के साथ जन्नत बन जाती है ज़िंदगी,
वरना तो दोजख से भी भयानक है ज़िंदगी,
लोग प्यार करके जाने क्यूँ साथ छोड़ देते हैं इसका,
प्यार का ही तो दूसरा नाम है ज़िंदगी"
'अक्स"
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