"जाने किस ख़याल में मैं खोया रहा,
जाग गयी दुनिया मगर मैं यूँ ही सोया रहा,
छोड़ कर मुझको अकेला आगे बढ़ गये सारे,
मैं बस गम के अंधेरो में ही खोया रहा"
"जाग कर दौड़ा तो पंहुचा दुनिया की इस दौड़ में,
उन्नति ऑर अवनति के फेर में पड़ता रहा,
सपने सारे टूट कर रह गये जाने कहाँ,
माया का भ्रम बस मेरी आँखों पर छाया रहा"
"थक कर पूछा हारकर दिल ने मेरे यूँ एक दिन,
क्या तेरा है रास्ता जाना कहाँ है ये बता,
निकला ना एक बोल भी मुँह से मेरे तब ए अक्स
खड़ा रहा मैं बस यूँ ही ऑर रास्ता तकता रहा"
"अक्स"
Sunday, January 17, 2010
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2 comments:
kya baat hai bhaut khub....
magar sirf rasta takna nahi aage badna hai jindagi
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है .
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