"मैं क्यूँ याद रखूँ वो दिन
जो हमने कभी साथ बिताये
कुछ बीते आनंद की लुकाछिपी में
तो कुछ करूणा से भी मिलकर आए"
"वो सब के साथ हँसना खिलखिलाना
किसी को साथ सता कर आनंद पाना
रूठ गया जो कभी कोई हमसे
प्यार से उसको फिर से मानना"
"वो हर पल जो साथ बिता
वो ज्ञान सागर जो हमने समेटा
संजों रखे हैं मैंने वो दिल में
पर न हुआ उनका कभी बाहर आना "
"याद हर पल मैं करता हूँ उनको
उन दिनों का हूँ अब भी दीवाना
खुदा गर पूछे मुझसे रजा कोई
सपना मेरा होगा उन्हें वापस आना"
"अक्स"
Friday, October 3, 2008
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