Wednesday, December 11, 2013

"एक अजन्मे बच्चे के मन के भाव"

"हे माँ, धरा ये कैसी है,
कैसा है नील गगन प्यारा,
कैसे अविरत बहती सरिता है,
निर्मल जो तन मन कर देती सारा"

"हे माँ, पवन क्यूँ बहती है,

जो सबको जीवन देती है,
पुष्पों में सुगंध भरी किसने,
जो महकाती है जग सारा"

"हे माँ, होते हैं चाँद सितारे क्या,

करता है कौन इन्हे रोशन,
इतनी क्यूँ आग उगलता है सूरज,
घबराता जिससे ये जग सारा"

"हे माँ,ये सुख दुख होते क्या,

क्यूँ उलझा है हर कोई इनमे,
होते हैं रिश्ते नाते क्या'
लगता जिनमे हर कोई प्यारा"

"हे माँ, मेरा मन उत्सुक है,

कब मैं ये दुनिया देखूँगा,
खेलूँगा कब तेरी गोदी में,
कब सबमें खुशियाँ बाटूँगा"

"अक्स"