Wednesday, May 1, 2013

"हलाहल"


"ख़यालो की बहती हवा से गुज़रता,
तुम्हारा वो पहलू मुझे याद है,
छल छलाती पलकों से बहती नमी का,
वो पत्थरों को भी बहाना याद है"

"तुम्हारी तड़प से दिल धरती का दहला,
अभी भी वो मुझे घर का थरथराना याद है,
करता रहा कवायद तेरा गम मैं पी लूँ,
पर मुझे वो हलाहल का तड़पाना याद है"

"रातों की ये खामोशी मुझे करती है बेकल,
तेरा चाँदनी में गुनगुनाना याद है,
कभी शान था जो इस बहार ए चमन का,
धूल में उस फूल का मिल जाना याद है"
"अक्स"