Thursday, January 20, 2011

आधुनिकता

"आज के इस आधुनिक युग में,
समय बड़ी तेज़ी से बदल रहा है,
जहाँ मनाते थे पहले खुशियाँ संग संग,
आज इंसान दूसरे के गम से भी कट रहा है"

"बदल रही है हर रिश्ते की परिभाषा,
रगो में बहता सुर्ख लहू पानी हो रहा है,
भाई भाई को काट रहा पैसे की खातिर,
बेटा मां की कोख की कीमत अदा कर रहा है"

"भावनाओ की कीमत हो गयी है शून्य अब,
आँसू भी आज बाज़ार में बिक रहा है,
यही चलन है इस आधुनिक दुनिया का अक्स,
तिस पर भी मानव खुद को विकसित कह रहा है"

"अक्स"

Sunday, January 16, 2011

टूटा दिल

"दिल मेरा तोड़ कर गुलिस्ताँ भी कुचल डाला,
फूल की औकात क्या कली को भी मसल डाला,
बेरहम पत्थर दिल से निकलती नहीं कभी दुआ,
हमारी सिसकियों ने पत्थर को भी मोम कर डाला"

"रो दिया आकाश भी मेरे लहू के रंग से,
सुबह ओ शाम का उसने फ़र्क ही मिटा डाला,
तारे भी टूट टूट कर गिरने लगे ज़मीन पर,
मेरी सदा ने एक दिन जब उनको भी हिला डाला"

"उनके दिए की रोशनाई ज़िंदगी काली कर गयी,
मेरी खुशी ओर गम का उसने मतलब ही बदल डाला,
जीते रहे, मरते रहे हम उसकी याद में अक्स,
शायद उसने मेरी याद का कतरा कतरा बहा डाला"

"अक्स"

Friday, January 14, 2011

मेघा

"गरज गरज कर घिर आए मेघा,
कड़क कड़क बिजली चमकाते,
कोई काला तो कोई उजियारा,
गजब गजब के रंग जमाते"

"बढ़े चले हैं एक डगर पर,
सब धरती की प्यास बुझाने,
ठुमक ठुमक कर अकड़ अकड़ कर,
मानो झूम रहे दीवाने"

"जग में फैल रहा अंधियारा,
चले बूँदों की एक लड़ी बनाते,
अकड़ रहे कुछ यूँ ठाट बाट से,
घूम रहे मानो मोती बरसाते"

"अक्स"

Tuesday, January 11, 2011

आज़ाद

"जंग ए आज़ादी में लड़ने वाले
वो दीवाने कुछ यूँ कर गुज़र गए,
न की खुद की परवाह न अपनों की,
वो तो बस एक आज़ादी पर मर गए"

"जाने क्या जूनून जज्ब था उनके दिल में,
जो हर मार को भी वो हंसकर सह गए,
कभी भूखे रहे तो कभी मार कोड़ो की भी सही,
चूम फाँसी के फंदे को भी विजयमाला कह गए"

"देकर भेटें अपने सिरों की वो दीवाने,
गर्व से सिर हमारा ऊँचा कर गए,
पर आज देख हालत अपने हिंद की अक्स,
कटे पर न झुके जो, वो सिर शर्म से झुक गए"

"अक्स"

Monday, January 3, 2011

सर्द रातें

"ये धुंधली सर्द रातों की तन्हाई,
हमे कुछ इस तरह तड़पाती है,
दफ़न कर चुके जो तेरी यादों के पन्ने,
हमे उनसे फिर रूबरू कर जाती है"

"हर वो मंज़र,वो पल जो कभी साथ गुजरा,
वो टीस दिल के जख़्मो को हरा कर जाती है,
दुनिया के दिए जख्म तो मैं सह गया हंसकर,
पर तेरी बेवफ़ाई मुझे हर पल रूलाती है"

"सर्द ये रातें ज़्यादा हैं या तेरा दिया गम,
इसी कशमकश में रातें बीत जाती हैं,
गुज़रता हर पल तेरी बेवफ़ाई याद दिलाता है अक्स,
फिर से आँखों में तेरी सूरत तैर जाती है"

"अक्स"