Monday, April 26, 2010

अंत

"जीवन के अंतिम पथ पर मैं बस कदम बढ़ने वाला हूँ,
बुझा दिए जो तूफान ने वो दीप जलाने वाला हूँ,
डूबता सूरज जलता है अपने ही ढलने के गम में,
आगे बढ़कर अब उसको मैं बस थामने वाला हूँ"

"लुटा दी मैने ज़िंदगी यूँ ही बस ऑरो के लिए,
अब जाके अपना ख़याल क्यूँ आया है,
करूँ भी तो क्या करूँ है यही कशमकश,
अब जब सब कुछ छोड़ के जाने वाला हूँ"

"आखरी नमाज़ भी कर लूँ अता मैं अब,
जब खुद खाक में मिलने वाला हूँ,
साकी पिलाएगी मुझे क्या अब जाम-ए-हुश्न ए अक्स
बस कुछ ही पल में मैं इस मय में मिलने वाला हूँ"

"अक्स"

Sunday, April 25, 2010

गुबार

"मिलकर तुमसे लगा यूँ जैसे जन्नत मिल गयी,
हम तो कब से बर्बाद ए मुहब्बत हुआ करते थे,
तेरी हँसी ने दी मेरे दिल को वो राहत,
तलाश में जिसकी हम राहों में फिरा करते थे"

"एक दर्द का दरिया बहता था कभी सीने में हमारे,
जिस से मेरी रूह पे भी फफोले हुआ करते थे,
तेरी पर्छाईं की छाया से हुआ कुछ यूँ असर,
वो हो गये शबनम जो कभी शोला हुआ करते थे"

"गैरों से क्यूँ हो शिकवा हमे अपनो ने किया कत्ल,
आश्तीनों में जिनकी छुपे खंजर हुआ करते थे,
दिन ये भी वो ही हैं, दिन वो भी वो ही थे,
हम हैं तन्हा अब भी तब भी हुआ करते थे"

"अक्स"

तलाश

"इतने दोस्तो में भी एक दोस्त की तलाश है,
समझ सके जो मुझे उस शख्स की तलाश है,
यूँ तो बहुत मिले मुझे गाहे बेगाहे मगर,
जो साथ दे हमेशा, उस हमसफ़र की तलाश है"

"राहे ज़िंदगी में मुश्किलें बहुत हैं,
पर मुझे तो अपनी मंज़िलों की तलाश है,
जूझता हूँ यूँ तो मैं मुश्किलों से हर रोज़,
फिर भी मुझे ना जाने क्यूँ उन मुश्किलों की तलाश है"

"खुशियों से मेरा जीवन आबाद था कभी,
खो गयीं कहीं जो, उन खुशियों की तलाश है,
किस किस की करूँ अब तलाश मैं ए अक्स,
मुझे तो इस जहाँ में हर किसी की तलाश है"

"अक्स"

Tuesday, April 13, 2010

हुश्न

"तुम जो चल दो यूँ ही जिधर,
प्यार की प्यारी सी सरिता बह चले,
हंस दो जो मस्ती में बस एक बार,
सुरो की एक सुरीली सी कविता बह चले"

"तुम्हारे पल्लू से हौले से बहती है पूर्वाई,
झटक दो जो जुल्फों को उसमे खुश्बू बह चले,
नाज़ुक कमर तुम्हारी है लहरों सी बलखाई,
चलो जो इतरा के मानो कोई हिरनी फुदक चले"

"अंगड़ाई तेरी कितनी है मदमस्त क्या कहूँ,
डालो जो एक नज़र तो पत्थर भी पानी सा बह चले,
कितने अब ओर इस हुश्न के कशीदे पढ़ूँ मैं अक्स,
लिखने को तो सारे जहाँ की स्याही भी कम पड़े"

"अक्स"

तेरी याद

"आज फिर आँखों में तेरी सूरत उतर आई है,
दिल में बसी थी जो कभी एक याद बनकर,
अब अश्क बहने से मना कर देते हैं आँखों से,
कहीं तू बह ना जाए उनमे एक ओस का मोती बनकर"

"तेरी जुदाई का गम सालता रहता है मुझको,
याद तेरी साँसों में अटक गयी है एक फाँस बनकर,
भूल मेरी है जो मिटा ना सका तुझे अपनी यादों से,
मैं तुझसे अब क्यूँ करूँ कोई शिकवा ओ गिला क्यूंकर"

"ज़िंदगी बह रही है अब हथेली से रेत की तरह,
वक़्त डराता रहता है मुझे एक तूफान बनकर,
अब अपने चाहने वालो से मिलता हूँ मुजाहिर की तरह,
अपनो की इस भीड़ में रह गया हूँ तन्हा बनकर"

"अक्स"