"वो नूर सा दमकता मासूम चेहरा
दुनिया की आँखो में चुभता क्यूँ है
उभरती है जो कोई ख्वाहिश मेरे दिल में
गम का बादल उन पर ठहरता क्यूँ है"
"वो नागिन सी बलखाती काली काली जुल्फेँ
दिल मेरा हमेशा उनमे उलझता क्यूँ है
झील से गहरी वो नीली नीली आँखे
शबनम का मोती उनसे टपकता क्यूँ है"
"उन लबो पर लहरती वो एक मुस्कुराहट
बाबस्ता जिससे सवालों का तूफान क्यूँ है
नहीं है मेरा कोई भी सरोकार जिनसे
जाने दिल इन सवालों से परेशान क्यूँ है"
"अक्स"
Tuesday, May 26, 2009
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