Sunday, December 21, 2008

पहली नज़र

"जब मैने देखा उसे पहली बार
में देखता रहा उसे बार बार
कोई नूर था उसके चेहरे में ऐसा
लगा मुझे हो गया उससे प्यार"

"सच में वो था पहली नज़र का प्यार
जो कर गया मेरे मन को बेकरार
जब बेकरारी में मैं हो गया जार जार
पूछा किसी से क्या यही है प्यार"

"कहा उसने ना ज़मीन पर, ना आसमान पर
है कोई नहीं जो बताए क्या है प्यार
सृष्टि के कण कण में फैला है प्यार
ये वही बतलाए जिसे हुआ हो प्यार"
कैसे मिले इस बैचेनी से मन को करार"

"पर जब मैने देखा उसे अगली बार
उसकी आँखों में भी झलका था प्यार
वो भी थी कुछ कहने को बेकरार
यही था हमारा पहली नज़र का प्यार"


"अक्स"

6 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

हर बार की तरह आपकी लेखनी ने जादू बिखेरा है

seema gupta said...

सच में वो था पहली नज़र का प्यार
जो कर गया मेरे मन को बेकरार
" scah kha pehli nazar ka pyaar aisa hi hotta hai" kepe it up

regards

Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji said...

बेहद खूबसूरत परिभाषा प्यार की.

रंजू भाटिया said...

बहुत सुंदर लिखा है आपने

!!अक्षय-मन!! said...

वो भी थी कुछ कहने को बेकरार
यही था हमारा पहली नज़र का प्यार"
wah! maja aa gaya.....
bahut hi badiya bhai bahut hi accha likha hai weldone ....

Rajat said...

kripya dusri nazar ke bare me bhi batayen , kya hua :D